How right, how wrong is Ajit Doval on Kashmir?

कश्मीर पर अजित डोभाल कितने सही, कितने ग़लत?-नज़रिया

"मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि कश्मीर की बहुसंख्यक आबादी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के पक्ष में है.
 सिर्फ कुछ लोग इसके विरोध में हैं. लोगों को ऐसा लगता है कि ये आम लोगों की आवाज़ है. ये पूरी तरह सच नहीं है.
कश्मीर में सेना की ओर से उत्पीड़न का सवाल ही नहीं उठता है.
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात हैं.
भारतीय सेना वहां पर सिर्फ आंतकवाद से लड़ने के लिए मौजूद है.''


ये बातें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहरकार अजित डोभाल ने शनिवार को कहीं.

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फ़ैसले के बाद के माहौल और उससे पहले स्थानीय नेताओं को नज़रबंद किए जाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार लगातार अलोचनाओं के घेरे में है.

जम्मू-कश्मीर में संचार सेवाओं की रोक और सेना द्वारा कश्मीरियों के उत्पीड़न के आरोपों के बीच अजित डोभाल ने शनिवार को कुछ पत्रकारों से बात की और कश्मीर से जुड़े कई मसलों पर बात की.

डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान में सक्रिय कुछ समूह कश्मीर में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के किसी भी नेता के ख़िलाफ़ कोई भी चार्ज या राजद्रोह का मामला नहीं लगाया गया है. वे एहितायतन हिरासत में लिया गए हैं और जब तक लोकतंत्र चलने के लिए सही माहौल न बन जाए, तब तक वो हिरासत में ही रहेंगे.

डोभाल ने कहा कि कुछ लोगों को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है. अगर जनसभाएं होतीं तो आतंकवादी इसका फायदा उठा सकते थे और क़ानून व्यवस्था को संभालने में दिक्कत होती.


अजित डोभाल जम्मू-कश्मीर के नेताओं को नज़रबंद करने और उन्हें हिरासत में लेने को सही ठहरा रहे हैं और इस फ़ैसले को ठहराने के लिए तरह-तरह की दलीलें दे रहे हैं लेकिन उनकी दलीलों में ज़्यादा दम नहीं है.

डोभाल कह रहे हैं कि अगर स्थानीय नेता जनसभा करते तो आतंकवादी उसका फ़ायदा उठा सकते थे. लेकिन ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने पिछले 70 वर्षों से भारत का तिरंगा उठा रखा था, उन्हें जेल में बंद करके उन्हें भी आतंकवादियों के कैंप में डाल दिया गया.

जब ये नेता बाहर आएंगे तब ये मौजूदा सरकार का गुणगान करते हुए बाहर नहीं आएंगे. वो कश्मीर उस जनता के साथ खड़े होंगे, जो जनता इस बात से क्रोधित है कि उसके राज्य का विशेष दर्जा अचानक उससे छीन लिया गया और उसे पिछले एक महीने से घरों में बंद करके रखा गया है.

कश्मीर के लोगों को एक किस्म से क़ैदी बनाकर रखा गया है. उनसे मोबइल, टेलीफ़ोन और इंटरनेट, सबसे दूर रखा गया है. इन सबको सही ठहराने के लिए आप कुछ भी दलील दे सकते हैं लेकिन सवाल ये है कि लोग उस पर कितना यक़ीन करेंगे.

डोभाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को भेदभावपूर्ण बताया लेकिन सच तो यह है कि भारत का संघवाद 'एसेमेट्रिक' है. यानी जैसा तमिलनाडु के साथ जैसा व्यवहार होता है, वैसा उत्तर प्रदेश के साथ नहीं होता और जैसा व्यवहार नगालैंड के साथ होता है वैसा दिल्ली के साथ नहीं होता. इसी तरह के संघवाद का एक उदाहरण अनुच्छेद 370 भी था.

भारतीय जनता पार्टी सभी राज्यों को एक चश्मे से देखती है. भले ही उनका इतिहास अलग हो, भले ही भारत में उनके विलय होने की पृष्ठभूमि अलग-अलग क्यों न रही हो.

अपने नज़रिए को संदर्भ में बीजेपी जो कह रही है, वो उसके हिसाब से सही है. मगर जिस संदर्भ में भारत का संविधान बना, जिस संदर्भ में जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना, उस संदर्भ को ध्यान में रखें तो डोभाल जो कह रहे हैं वो ग़लत है.

अजित डोभाल ने पत्रकारों से बातचीत में जिन बिंदुओं पर बात की, वो सभी मुद्दे अमरीकी विदेश मंत्रालय की ओर से उठाए गए थे. अमरीकी विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को भारत प्रशासित कश्मीर को लेकर बयान जारी किया गया था.

डोभाल ने अपने बयानों में अमरीका का कहीं ज़िक्र नहीं किया लेकिन उन सभी सवालों के जवाब दिए जो अमरीकी विदेश मंत्रालय ने पूछे थे.

अजित डोभाल एक तरीके से अमरीका को ही जवाब दे रहे थे. अजित डोभाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति में सामान्य हो जाएगी. क़ायदे से उन्हें ये भी बताना चाहिए कि स्थिति सामान्य कब होगी.

अभी के हालात को देखें तो बिल्कुल नहीं लगता कि सरकार यहां अगले छह महीने या अगले एक साल में चुनाव करा पाने की स्थिति में होगी.
How right, how wrong is Ajit Doval on Kashmir? How right, how wrong is Ajit Doval on Kashmir? Reviewed by The Today Time on September 09, 2019 Rating: 5

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